अध्याय:2 राजा किसान और नगर
NCERT SOLUTION CLASS XII HISTORY IN HINDI
अध्याय:2 राजा किसान और नगर
1.आरंभिक ऐतिहासिक नगरों में शिल्पकला के उत्पादन की चर्चा कीजिएl हडप्पा के नगरों की तुलना में यह कितना भिन्न है
उत्तर:आरंभिक एतिहासिक शहरों में हमें
अनेक स्थानों पर शिल्प उत्पादन के प्रमाण मिले है-
1.
लोग उत्कृष्ट
श्रेणी के कटोरे और थालियाँ बनाते थे जिन पर चिकनी कलई चड़ी होती थी l इन्हें उत्तरी अश्वेत पोलिश भांड (N.B.P.W) मृत्भांड
से जाना जाता है l
2.
मृतभांड
के साथ साथ यहाँ और भी कई चीजें बनाई जाती थीl
जैसे गहने, उपकरण हथियार,बर्तन और सोना-चाँदी, कांस्य, ताँबे,
हाथी दांत और शुद्ध और पक्की मिट्टियों की मूर्तियाँ भी बनाई जाती थी
3.
अनेक
बार शिल्पकार और उत्पादन अपनी श्रेणियाँ बनाते थे जो की शिल्पकारों के लिए पहेले
तो कच्चे माल को खरीदती थी फिर उनके के जरिये तयार किय गये मालों को बाजार में बेचती थी l
शिल्पकार नगरों में रहने वाले लोगों के बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिय अलग अलग उपकरणों का इस्तमाल करते थे l
हडप्पा के नगरों तथा आरंभिक एतिहासिक नगरों में
विभिन्नताएं
1.
हडप्पा
के शहर कई मामलों में इन
शहरों से भिन्न है l
2.
हडप्पा
के लोग इन प्रारंभिक लोगों के सामान लोहे का प्रयोग नही जानते थे हम यह कह सकते की
हडप्पा के लोगों की तुलना में प्रांभिक
शहरों के लोग बड़ी मात्रा में लोहे के
ओजार, उपकरण और वस्तुएँ बनाते थे
l
2. महाजनपद
की प्रमुखताओं का चित्रण कीजिए l
उत्तर:
महाजनपद की प्रमुखताएँ :-
1.
महाजनपद
की संख्या 16 थीं जिनमें से लगभग 12
राजतंत्रीय राज्य और 4 गणतंत्रीय राज्य थे l
2.
महाजनपद
को प्राय: लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के साथ जोड़ा जाता है l
3.
ज्यादातर
महाजनपदों पर राजा का शासन होता था लेकिन गण और संघ के नाम से प्रसिद्ध राज्यों
में अनेक लोगों का समूह शासन करता था,
इस तरह का प्रत्येक व्यक्ति राजा कहलाता था l
4.
गणराज्यों
में भूमि सहित अनेक आर्थिक स्रोतों पर गण के राजा सामूहिक नियंत्रण रखते थे l
5.
प्रत्येक
महाजनपद एक राजधानी होती थी जिन्हें प्राय: किले से घेरा जाता था l किले बंद राजधानियों के रख-रखाव और प्रांभिक
सेनाओं और नौकरशाही के लिए आर्थिक स्रोत की जरूरत होती थी l
6.
शासकों का काम किसानों, व्यापारियों
और शिल्पकारों से कर तथा भेंट वसूलना माना जाता था और सम्पत्ति जुटाने का एक वैध
उपाय पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करके धन इकट्ठा करना भी माना जाता था l
3. सामान्य
नागरिकों के जीवन का पुनर्चित्रण इतिहासकार कैसे करते है ?
उत्तर:सामान्य नागरिकों के जीवन का
पुनर्चित्रण करने के लिए इतिहासकार विभिन्न स्रोतों का अध्यन कर लेते थे l
1.
वैदिक
इतिहास :वैदिक साहित्य से जानकारी हासिल करते है लगभग 600 ई. पू . से 600 ई. तक
के भारतीय समाज सामान्य लोगों के बारे में पर्याप्त जानकारी इसके जरिये
हासिल कीया जाता है l उदाहरण के लिए रामायण,
और महाभारत जैसे ग्रंथों को साधारण नागरिकों के बारे में जानकारी
हासिल करने के लिए प्रयोग किया जाता है l
2.
साहितिक
साधनों से हमें उत्तरी भारत, दक्षिण पठार और कर्नाटक जैसे अनेक श्रेत्रों में विकसित हुई कृषक बस्तियों
के विषिय में जानकारी मिलती है
3.
इतिहासकार
सर्वसाधरण के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए ग्रंथों के साथ-साथ अभिलेखों, सिक्कों और चित्रों को भी विभिन्न ऐतिहासिक
स्रोतों के रूप में प्रयोग करते हैं l
4.
अभिलेखों
से हमें साधारण लोगों की भाषाओँ के बारे में जानकारी हासिल होती है
5.
इतिहासकार
सामान्य लोगों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए दान-संबंधी आदेशों और
रीकॉर्डों का भी अध्ययन करते हैं
4. पाण्ड्य
सरदारों को दी जाने वाली वस्तुओं की तुलना ठंगुना गाँव की वस्तुओं से कीजिये l
आपको क्या समानताएँ और असमानताएँ दिखाई जाती है ?
उत्तर: पाण्ड्य सरदारों को दी जाने
वाली वस्तुओं और ठुगना गाँव के वस्तुओं में समानताएँ और असमानताएँ l
1.
समानताएँ
:पाण्ड्य सरदार के लिए लोग उपहार में देने के लिए हाथी दाँत, सुगंधित लकड़ी, मधु शहद,
चंदन, सुरमा, हल्दी,
इलायची, नारियल, आम,
जड़ीबूटी , केला, बाघों
के बच्चे और शेरों, हाथी, भालू,
हिरन, कस्तुरी मृग, लोमड़ी,
जंगली मोर आदि के बच्चे लाते थे l जबकि ठंगुना
गाँव के लोग घास, चमड़े की वस्तुएं, चारकोल,
खनिज पदार्थ, कुछ वृक्ष, फूल और दूध आदि लाया करते थे l दोनों में ये समानता
है की दो सरकारों अथवा पदाधिकारियों को दान देते थे l
2.
असमानताएँ:पाण्ड्य
राज्य के लोग ख़ुशी-ख़ुशी से अपने सरदार को उसकी वन यात्रा के दौरान नाचते-गाते हुए
उसे आदर के साथ विभिन्न उपहार देते है l
लोग उपहार इसलिए लाते है क्योंकि सरदार को इनकी जरुरत थी l दूसरी ओर प्रभावती गुप्त ने दान देने के लिए ठंगुना गाँव के निवासियों,
ब्राह्मणों और अन्य प्राणियों को दान देने के लिय आदेश दिया l
वह उन्हें पुन: पाने के लिए दान करने का आदेश देती हैं
5. अभिलेखशास्त्रियों
की कुछ समस्याओं का उल्लेख कीजिए l
उत्तर
अभिलेखशास्त्रियों की कुछ निम्नलिखित समस्याएँ l
1.
वे
कुछ अभिलेखों पर दी गयी लिपि को पड़ ही नही पाते क्योंकि की जिन युगों के वे
आभिलेख होते हैं उनके समकालीन अभिलेखों पर कहीं भी उस लिपि का प्रयोग अन्य अभिलेखों
की भाषाओं के साथ कहीं नहीं हुआ होता l दो भाषाओं के
समानांतर उपयोग के आभाव में अभिलेख शास्त्री असहाय हो
जाते हैं l
2.
कुछ
अभिलेखों में राजा के लिए भिन्न भिन्न नामों और सम्मानजनक प्रतीकों और संबोधनों का
प्रयोग किया जाता है l इसलिए अभिलेखशास्त्री
निष्कर्ष निकालने में काफी परिश्रम और समय व्यतीत करने पर विवश हो जाते हैं l
अभिलेखों में उन लोगों की उपलब्धियाँ और क्रियाओं का उल्लेख किया
जाता है जो उन्हें बनवाते हैं l जैसा की इनमें राजाओं के
शासनकाल के दौरान किर्याकलापों का ब्यौरा होता है l यह एक
तरह से स्थाई प्रमाण होते हैं l
3.
अभिलेखशास्त्रियों
को कई बार कई भाषाओँ और लिपियों का मजबूर होकर अध्यन करना पड़ता था क्योंकि एक ही
शासक या उसके वंश से सम्बंधित बातें विभिन्न क्षेत्रों या देशों में अभिलेखों के
रूप में भिन्न भिन्न भाषाओँ और लिपियों में मिला करती थी l
6. मौर्य
प्रशासन के प्रमुख अंगों की चर्चा कीजिये l आशोक के अभिलेखों
में इनमें से कौन-कौन से अंगों के प्रमाण मिलते हैं?
उत्तर:
1.
पाटलिपुत्र
:-
मौर्य साम्राज्य की राजधानी
पाटलिपुत्र थी l यह एशिया के विशाल
शहरों में से एक था l इसी नगर से साम्राज्य के संस्थापक
चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने साम्राज्य को चार दिशाओं में विस्तृत किया l यह साम्राज्य उत्तर पश्चिम में अफ्गानिस्तान, बलूचिस्तान
से लेकर दक्षिण के सिद्धपुर तक पूर्व में बिहार से लेकर पश्चिम में सौराष्ट्र तक
फैला हुआ था l उस के बाद अशोक ने कलिंग को जीतकर मौर्य
साम्राज्य को और बड़ा दिया और इसी राजधानी से कलिंग पर भी राज किया गया l लेकिन कालांतर में इस नगर का महत्व कम होगया जब चीनी यात्रीह्वेनसांगसातवीं
सदी में भारत आया था तो यह नगर खंडर में बदल गया था l
2.
साम्राज्य
की स्तिथि :-
एतिहासिक स्रोतों का अध्यन करने के
बाद हम यह केह सकते है की मौर्य समाज की साम्राज्य में सर्वोच्च स्तिथि थी l सरकार के सभी अंग जैसे विधायिका, न्यायपालिका,
कार्यपालिका और सेना व वित्त पर उसी का नियंत्रण था l उसके काल में
अधिकारीगण आधुनिक उदार, लोकतांत्रिक सरकार के आधुनिक
मंत्रियों की तरह शक्ति संपन्न नही थे और उनका अस्तित्व पूर्णतया सम्राट की मर्जी
पर निर्भर था l चंद्रगुप्त मौर्य, बिदूंसार, अशोक शक्ति संपन्न सफल मौर्य सम्राट थे l
3.
स्वरूप
अथवा मौर्य सम्राट का व्यवहार :-
हर शासक का
स्वभाव तथा व्यवहार अलग अलग होता था l चंद्रगुप्त मौर्य एक
कठोर और अनुशासनप्रिय सम्राट थे उनकी तुलना में अशोक
अधिक उदार, शांत, स्वभाव के सम्राट थे
वो हमेशा अपनी जनता को संतान के तुल्य समझते थे l अशोक ने
अपने अभिलेखों के माध्यम से धर्म प्रचार किया l इनमे बड़ों के
प्रति आदर, सन्यासियों और ब्राह्मण के प्रति उदारता और दासों
के साथ उदार व्यवहार तथा दूरों धर्मों और परंपराओं का आदर शामिल है l
4.
मौर्य
साम्राज्य के
राजनेतिक केंद्र :-
मौर्य साम्रज्य के 5 राजनेतिक
केंद्र थे जिसका उल्लेख अशोक के अभिलेखों में भी है, राजधानी
पाटलिपुत्र तथा चार प्रांतीय केंद्र तक्षशिला, उज्जयिनी,
तोसली,और सुवर्णगिरी l
5.
राजा
के अधिकारीयों के कार्य:-
मौर्य सम्राट के जरिये नियुक्त
विभिन्न अधिकारी विभिन्न कार्यों का निरिक्षण किया करते थे इस विषय में इंडिका के
लिखक मेगस्थनीज के विवराण का अंश दिया गया है साम्राज्य के महान आधिकारियों में से
कुछ नदियों के देख रेख और भूमिमापन का काम करते हैं जैसा की मिस्र में होता था l
7. यह
बीसवीं शताब्दी के एक सुविख्यात अभिलेख शास्त्री डी,सी.
सरकार का कथन है : “भारतीयों के जीवन संस्कृत और क्रियाओं का
एसा कोई अंग नही है, जिनका प्रतिबिंब अभिलेखों में नही है l
चर्चा कीजिये
उत्तर:
1.
इतिहास
की रचना की दृष्टि से अभिलेख बहुत महत्वपूर्ण स्रोत है l अभिलेख विशेषज्ञ इतिहास
डी, सी. सरकार ने ठीक ही कहा था की भारतीय के जीवन, संस्कृति और किर्याओं का कोई अंग नही है, जिनका
प्रतिबिंब अभिलेखों में भी हुआ है l अभिलेखों में उन्हीं
विचारों, उपलब्धियों और गतिविधियों को
लिपिबद्ध किया जाता था जो उन्हें विभिन्न स्थानों पर स्थापित करने के विषय में
निर्णय लेते थे l
2.
अभिलेखों
में महिलाओं और पुरुषों के जरिये धार्मिक संस्थाओं को दिये गये दान का विवरण होता
है l अभिलेख एक तरह से
स्थायी साक्ष्य होते हैं l अनेक अभिलेखों में इनके निर्माण
की तिथि खुद होती है, कुछ तिथि का निर्धारण उन पर लिखी गयी
लिपी के बनावट के आधार पर होती है l
8. उत्तर-मौर्यकाल में विकसित राजधर्म के विचारों की चर्चा कीजिए l
8. उत्तर-मौर्यकाल में विकसित राजधर्म के विचारों की चर्चा कीजिए l
उत्तर: उत्तर-मौर्यकाल में विकसित
राजधर्म के विचार :-
1.
उत्तर
मौर्यकाल में राजाओं के लिए उच्च अस्तित्व प्राप्त करने का एक साधन विभिन्न
देवी-देवताओं के साथ जुड़ना था l मध्य एशिया से लेकर पश्चिमोत्तर भारत तक शासन करने वाले कुषाण शासकों ने
इस उपाय का सबसे अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया l
2.
कुषाण
इतिहास की रचना अभिलेखों और साहित्य परंपरा के माध्यम से की गयी है l जिस प्रकार के राजधर्म की कुषाण शासकों ने
प्रस्तुत करने की इच्छा की उसका सर्वोत्तम प्रमाण उनके सिक्कों और मूर्तियों से
प्रतीत होता है l उत्तर प्रदेश में मथुरा के पास मट के एक
देवस्थान पर कुषाण शासकों की विशालकाय मूर्तियाँ लगाई गयी थीं l
3.
कुछ
इतिहासकारों का मनना है की इस मूर्तियों के जरिए कुषाण स्वंम को देवतुल्य प्रस्तुत
करना चाहते थे l कई शासकों ने अपने
नाम के आगे देवपुत्र की उपाधि भी लगाई थी l यकीनन वो उन चीनी
शासकों से प्रेरित हुए होंगे जो खुद को स्वर्ग पुत्र कहते थे l
4.
चौथी
शताब्दी ई. में गुप सम्राज्य सहित कुछ बड़े स्म्राज्यों के साक्ष्य मिलते है इनमे
से कुछ सम्राज्य सामंतों पर निर्भर थे अपना निर्वाह स्थानीय संसाधनों के जरिए करते
थे जिनमें भूमि और नियंत्रण भी शामिल थे वें शासकों का आदर करते थे l और उनके सैनिक सहायता भी करते थे जो सामंत
शक्तिशाली होते थे वो राजा भी बनजाते थे और जो राजा दुर्बल होते थे वो बड़े शासकों
के अधीन हो जाते थे l
9. पुस्तक में विर्णित काल में कृषि के क्षेत्र में कितने परिवर्तन आये l
उत्तर: कृषि के क्षेत्र में आये
परिवर्तन :-
1.
किसानों
को उपज बढ़ाने के लिए नये-नये तरीकों को अपनाना पड़ा ताकि वो करों की बढ़ती माँगो को
पूरा करसकें l उपज बढ़ाने का एक
तरीका हल का प्रचलन भी था जो छठी शताब्दी ई, पु. से ही गंगा
और कावेरी की घाटियों के उर्वर भूमि की जुताई की जाने लगी इसके आलावा गंगा की घाटी
में धान की रोपाई की वजह से उपज में भरी वृद्धि होने लगी लेकिन इसके लिए
किसानों को जीतोड़ मेहनत करनी पड़ती थी l
2.
उपज
बढ़ने के लिय लोहे के फाल वाले हलों का इस्तमाल शुरू होने लगा लेकिन ऐसे हलों का
उपयोग उपमहाद्वीप के कुछ ही हिस्सों में सीमित था l
पंजाब और राजिस्थान में फाल वाले हलों का प्रयोग बीसवीं सदी में
शुरू हुआ l
3.
उपज
बढ़ाने का एक और तरीका कुओं, तालाबों और नहरों के
माध्यम से सिचाई करने का था जो राजा की या प्रभावशाली लोगों के जरिये निर्मित हुआ l
4.
खेतों
की इन तकनीकों से उपज बढ़ी लेकिन इसके लाभ सामान नही थें इस बात का सबूत
मिलता है की खेती से जुड़े लोगों में उत्तरोत्तर भेद बढ़ता जा रहा था l इसका उल्लेख हम कहानियों का अध्यन करके करसकते
है जहाँ भूमिहीन खेतिहर श्रमिकों, छोटे किसानों और बड़े-बड़े
जमींदारों का उल्लेख मिलता है l जिनका अध्यन करनके हमें ये
पता चलता है की बड़े-बड़े जमींदार और ग्राम प्रधान शक्तिशाली माने जाते थे, जो प्राय: किसानों पर नियंत्रण रखते थे l
11. एक
महीने के अख़बार एकत्र कीजिए l सरकारी अधिकारिओं के जरिये
सार्वजानिक कार्यों के बारे में दिये गये वक्तव्यों की काटकर एकत्र कीजिए l
समीक्षा कीजिए की इन परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधनों के बारे में
ख़बरों में क्या लिखा है l संसाधनों को किस प्रकार से एकत्र
किया जाता है और परियोजना का उद्देश्य क्या है l इन
वक्तव्यों को कौन जारी करता है और उन्हें क्यों और कैसे प्रसारित किया जाता है ? इस अध्याय में चर्चित अभिलेखों के साक्ष्यों से इनकी उलना कीजिये l
आप इनमे
उत्तर:-आप अपने आप करके सीखे l
12. आज
प्रचालित 5 विभिन्न नोटों और सिक्कों को इकट्ठा कीजिए l
इनके दोनों ओर आप जो देखते है ,उनका वर्णन
कीजिए इन पर बने चित्रों लिपियों; भाषाओँ, आकर या अन्य की समानताओं और असमानताओं के बारे एक रिपोर्ट तैयार कीजिए l
इस अध्याय में दर्शित सिक्कों में प्रयुक्त सामग्रियों तकनीक ,
प्रतीकों , उनके महत्त्व और सिक्कों के संभावित
उद्देश्य की चर्चा करते हुए इनकी तुलना कीजिए l
उत्तर: आप अपने आप जरूर प्रयाश करे l
बहुत कुछ सीखने को मिलेगा l
helpfull👍... But plss try to make answers long enough for exams
ReplyDeletethank you for helping
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